Monday, April 14, 2014

एक आशा

सपने हैं उसके,ख्वािहश हैं उसकी;
िजन्हें वो पूरा करना चाहे।
खुले आसमान के बीच,आज़ाद परिंदे की तरह;
ऊँची  उड़ान वो भरना चाहे।
इन लम्बी तन्हा सड़कों पर;
तेज रफ्तार से वो चलना चाहे।
दुनिया सारी एक तरफ,
अब अपने नियम वो खुद लिखना चाहे।
जवाब क्यों वो दे सबको;
सवाल समाज से अब वो करना चाहे।
कब तक सहेगी ये दर्द;
अब एक खुली आजाद जिन्दगी की साँस वो लेना चाहे।


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